कविता- पुरुष का दूसरा रूप- ऋषिकेश सारस्वत Champaran Todayशनिवार, नवंबर 30, 2019 माँ! मैं बचपन मे सुनी थी राक्षसों की कहानियां स्त्रियों का अपहरण भी फिर भी उनमें गरिमा थी लेकिन किसी ने यह नही बताया उस...Read More
कविता: अखबार का अस्तित्व: ऋषिकेश सारस्वत Champaran Todayसोमवार, नवंबर 18, 2019 अखबार का अस्तित्व? कवि ऋषिकेश सारस्वत 'साहित्य सुमन' क्या आज भी तुम्हारा अस्तित्व कायम है! या, सिर्फ मायने बदल गए ...Read More
कविता: आखिर कब तक.......?- ऋषिकेश सारस्वत Champaran Todayगुरुवार, फ़रवरी 14, 2019 आज कश्मीर के पुलवामा में हुए सेना पर हमले ने हम सभी को झकझोर कर रख दिया है। शहीद जवानों को श्रद्धांजलि। कब तक हम तिरंगे में लिपटते रहेंग...Read More
साहित्य: प्रश्नचिन्ह हूँ......... ? - ऋषिकेश सारस्वत Champaran Todayबुधवार, अक्तूबर 10, 2018 दिल्ली में हुई निर्भया कांड ने पुरे देश को झकझोर कर रख दिया था। जनवरी 2015 में रचित यह कविता " प्रश्नचिह्न हूँ..... ?" आज भी प...Read More
रिश्वत : ऋषिकेश सारस्वत Champaran Todayरविवार, अक्तूबर 07, 2018 दोस्तों ! जब मन विचलित होता है तो पंक्तियाँ स्वयं ही अपना काव्य रूप धारण कर लेता है। नविन रचना रिश्वत आपके समक्ष प्रस्तुत है। आपकी प्रति...Read More